(nikay chunav) मेरठ में गुरुवार को जैसे ही सुबह महानगर के प्रथम नागरिक (मेयर) और 90 वार्डों में मतदान शुरू हुआ तो मुस्लिम और गैर-मुस्लिम इलाकों में मतदात पर प्रत्याशियों से लेकर विभिन्न दलों के नेताओं की नजर थी। उम्मीदों के मुताबिक रिकॉर्ड तोड़ मतदान नहीं होने से प्रत्याशियों की नींद उड़ गई। कुछ दलों के प्रत्याशियों की नजर मुस्लिम मतों पर थी। हर आधा घंटा, एक घंटे में मुस्लिम इलाकों में मतदाताओं के रुख भांपते हुए रिपोर्ट ली जा रही थी। 11 घंटे चले मतदान में मुस्लिम इलाकों की बात करें तो वोटों की डोर से पतंग (एआईएमआईएम) तो खूब उड़ी, साथ ही सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को भी साथ मिला। हालांकि मुस्लिम इलाके के 21 वार्डों में पार्षद पद के प्रत्याशी उतारने का फायदा भाजपा को भी मिलता नजर आया। माना जा रहा है कि मुस्लिम मतों के इस बिखराव से नतीजे चौकाने वाले हो सकते हैं।
मतगणना के दौरान चाक-चौबन्द रहेगी सुरक्षा व्यवस्था
मेयर पद पर 15 प्रत्याशियों में से सात प्रत्याशी मुस्लिम चुनाव मैदान में रहे। 90 पार्षद पदों के लिए 577 प्रत्याशी चुनाव में रहे, इनमें से 237 मुस्लिम प्रत्याशी रहे। (nikay chunav) निकाय चुनाव में मुस्लिम और दलित मतदाताओं के रूख पर सभी की नजर थी। प्रत्याशियों के बीच मुस्लिम मतों को लेकर जंग छिड़ी थी। भाजपा ने मुस्लिम इलाकों में वोट हासिल करने के लिए नया प्रयोग किया। 21 वार्डों में पार्षद पद पर टिकट देकर चुनाव लड़ाया गया। मुस्लिम मत हासिल करने के लिए पार्टी नेताओं ने कोशिशें भी की। गुरुवार को मतदान के दौरान मुस्लिम वोटों से कमल का फूल सींचता हुआ दिखा। इसे लेकर भाजपा नेताओं के चेहरे भी खिले।
मतदान प्रतिशत के साथ मतों में बिखराव ने भाजपा को छोड़कर अन्य दलों के प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ा दी। सर्वाधिक नुकसान सपा प्रत्याशी को माना जा रहा है। साफ मौसम में मुस्लिम मतों की डोर से पतंग उड़ चली। (nikay chunav) हालांकि बसपा प्रत्याशी हसमत अली, सपा प्रत्याशी सीमा प्रधान, आम आदमी पार्टी की ऋचा सिंह को भी मुस्लिम मत खूब मिले।
मुस्लिम मतों में बिखराव से भाजपा में नई उम्मीद जगी। पहले माना जा रहा था कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव मेरठ के मुस्लिम इलाकों में रोड शो कर चुनावी हवा का रुख मोड़ गए, लेकिन बूथ पर सपा का जादू कम चलता दिखा। अतीक अहमद के बेटे की अपील के साथ एआईएमआईएम प्रत्याशी मोहम्मद अनस की मुस्लिम इलाकों में औवेसी के नाम का सहारा लेकर की गई कैंपेनिंग का असर दिखा।