मेरठ शहर की सरकार के लिए चुनावी मैदान में मुस्लिम महिलाएं पुरुषों से आगे हैं। (Nikay chunav) शहर में कुल 577 प्रत्याशियों में से 237 मुस्लिम समुदाय से हैं जबकि 340 गैर-मुस्लिम। रोचक तथ्य यह है कि मुस्लिम वर्ग में महिलाएं अपने ही वर्ग के पुरुषों से चुनावी मैदान में आगे हैं जबकि गैर-मुस्लिम समुदाय में स्थिति उलट है। इस वर्ग में पुरुष महिलाओं से ज्यादा हैं। गैर-मुस्लिम समुदाय से 340 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं और इनमें से 226 पुरुष और 114 महिलाएं हैं।
मेरठ के 90 वार्डों में 577 प्रत्याशियों में 331 पुरुष और 246 महिलाएं हैं। यानी 57.37 पुरुष और 42.63 फीसदी महिलाएं। इसकी तुलना समुदायों की भागीदारी से करें तो अलग तसवीर बनती है। (Nikay chunav) कुल प्रत्याशियों में महिलाओं की 42.63 फीसदी भागीदारी के सापेक्ष मुस्लिम वर्ग में 55.70 महिलाएं वार्डों में चुनाव लड़ रही हैं जबकि गैर-मुस्लिम वर्ग में औसत भागीदारी के सापेक्ष केवल 33.53 फीसदी महिलाएं हैं। कुल प्रत्याशियों में जहां 57.37 फीसदी पुरुष चुनाव मैदान में हैं वहीं मुस्लिम वर्ग में पुरुषों की भागीदारी केवल 44.30 फीसदी है। गैर-मुस्लिम वर्ग में 66.47 फीसदी पुरुष प्रत्याशी हैं। शहर में कुल 577 प्रत्याशियों में 58.92 फीसदी गैर-मुस्लिम और 41.07 फीसदी मुस्लिम वर्ग से हैं।
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मुस्लिम समुदाय से महिला-पुरुष प्रत्याशियों की शैक्षिक स्थिति में भी व्यापक अंतर है। पुरुषों में हाईस्कूल पास 27 प्रत्याशी हैं जो अपने वर्ग में ज्यादा हैं। महिलाओं में ज्यादा 55 निरक्षर हैं।(Nikay chunav) हालांकि पीजी स्तर की शिक्षा में पुरुषों में केवल दो प्रत्याशी हैं जबकि महिलाएं पांच हैं। उम्र के हिसाब से मुस्लिम समुदाय से सबसे ज्यादा 41 प्रत्याशी 41-50 साल की उम्र के बीच के हैं जबकि महिलाओं 31-40 आयु की सबसे ज्यादा 46 प्रत्याशी हैं। यानी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा युवा हैं। 20-30 आयु वर्ग में भी महिलाएं ज्यादा हैं।