सहारनपुर मेयर सीट पर दांव में लगी दिग्गजों की प्रतिष्ठा

(Nikay chunav) यूपी निकाय चुनाव में प्रचार का दौर अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। कई नगर निगमों में मेयर सीट पर कांटे की टक्कर दिख रही है। भाजपा-बसपा और की त्रिकोणीय लड़ाई के बीच कांग्रेस और आप के प्रत्याशी जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। मेयर प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। 13 मई को आने वाले रिजल्ट से तय होगा कि कौन अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब रहा। कुछ ऐसे ही हालात सहारनपुर के मेयर चुनाव का है। (Nikay chunav) यहां भाजपा ने डा. अजय कुमार सिंह को उतारा है तो बसपा ने खदीजा मसूद को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने जहां नूर हसन पर दांव लगाया है, वहीं कांग्रेस से प्रदीप वर्मा और आप से सहदेव सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। शेष तीन निर्दलीय मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

 Nikay chunav: मेयर व पार्षद प्रत्याशी के आपसी गठजोड़ की अहम भूमिक

भाजपा फिलहाल केन्द्र और राज्य में सत्तासीन हैं। साथ ही बीते चुनाव में मेयर सीट भी भाजपा की ही थी। इस बार निवर्तमान मेयर संजीव वालिया ने टिकट नहीं मांगा। इसके बाद डा. अजय कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। भले ही चुनाव डा. अजय कुमार लड़ रहे हैं, लेकिन प्रतिष्ठा भाजपा के दिग्गजों की लगी है। इनमें सूबे के पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री कुंवर ब्रजेश सिंह, औद्योगिक राज्य मंत्री जसवंत सैनी, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल, प्रदेश मंत्री डा. चंद्र मोहन, नगर विधायक राजीव गुंबर, विधायक देवेन्द्र निम, विधायक मुकेश चौधरी, विधायक कीरत सिंह और महानगर अध्यक्ष राकेश जैन शामिल हैं।

प्रत्याशी का परिणाम इन नेताओं के सियासी वजूद को तय करेगा।  (Nikay chunav) इसके अलावा भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सभा कर चुके हैं। समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरूण भी दो दिन डेरा डाल चुके हैं। ऐसे में हारजीत के परिणाम भी इनकी प्रतिष्ठा से जुड गए हैं।

इसी तरह बसपा से खदीजा मसूद चुनाव मैदान में हैं।  (Nikay chunav) वह जहां दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे काजी रशीद मसूद की पुत्रवधू हैं, वहीं बसपा के वेस्ट यूपी संयोजक इमरान मसूद की भाभी और समधिन भी हैं। उनकी प्रतिष्ठा बसपा प्रत्याशी के साथ सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।

इसके अलावा बसपा के वेस्ट यूपी और उत्तराखंड प्रभारी नरेश गौतम भी दिन रात लगे हुए हैं। बसपा के सांसद हाजी फजुलर्रहमान भी परिणाम के प्रभाव से बरी नहीं हो पाएंगे। साफ है कि परिणाम पार्टी में इन नेताओं के कद को तय करेंगे।

सपा ने नूर हसन मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है। दरअसल, नूर हसन सपा से देहात सीट से विधायक रहे आशु मलिक के छोटे भाई हैं। वह पूर्व में गाजियाबाद के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं।  (Nikay chunav) जिस सहारनपुर देहात सीट से आशु मलिक विधायक हैं, उसके 32 गांव नगर निगम की सीमा में आते हैं। ऐसे में प्रत्याशी की हार-जीत का असर उनके कद को भी तय करेगा।

 

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