लखनऊ। (Nikay chunav) यूपी में निकाय चुनाव के पहले चरण के प्रचार का शोर कुछ घंटों में थम जाएगा। कांग्रेस के दिग्गज अभी तक कहीं नहीं दिखाई दिए हैं। प्रियंका या राहुल गांधी ही नहीं कांग्रेस के अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने भी निकाय चुनाव से लगभग दूरी बना रखी है। राहुल-प्रियंका कर्नाटक में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार में लगे हैं। (Nikay chunav) यूपी में अभी तक झांकने भी नहीं आए हैं। दोनों भले यहां नहीं आए लेकिन योगी आदित्यनाथ अपनी सभाओं में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को दीदी-भैया की जोड़ी कहकर निशाना साधते रहते हैं। कांग्रेसी भी उन्हे दीदी भैया ही बुलाते हैं। ऐसे में यूपी निकाय चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी बिना दीदी और भैया के ही अपने दम पर लड़ रहे हैं।
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भाजपा की तरफ से खुद सीएम योगी ने प्रचार का जिम्मा उठाया है। रोजाना चार से पांच जिलों में उनकी सभाएं हो रही हैं। लखनऊ और गोरखपुर में तो चुनाव प्रचार कर रहे हैं। (Nikay chunav) योगी के मंत्रियों के साथ ही सांसद, विधायक भी भाजपा प्रत्याशियों के प्रचार में लगे हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद और ब्रजेश पाठक भी रोजाना किसी न किसी जिले में जा रहे हैं। जिलों में भी तीन से चार सभाओं को संबोधित करने के साथ लोगों से संवाद कर रहे हैं।
सपा की तरफ से अखिलेश यादव भी एक्टिव हो चुके हैं। संतकबीरनगर, गोरखपुर के बाद लखनऊ में प्रचार अभियान को अपने हाथों में लिया है। सहारनपुर में भी रोड शो होने जा रहा है। (Nikay chunav) सपा के सांसदों, विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने भी अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए जोर लगाया है। अखिलेश ने सपा ने कई वरिष्ठ नेताओं को नगर निगमों का प्रभारी भी नियुक्त कर दिया है।
बसपा की तरफ से मायावती भले ग्राउंड जीरो पर जाकर जनसभा नहीं कर रही हैं लेकिन उनके पूर्व मंत्री और सांसद विधायक प्रचार में लगे हैं। आम आदमी पार्टी की तरफ से यूपी का प्रभारी होने के नाते सांसद संजय सिंह ने मोर्चा संभाला हुआ है।
कांग्रेस की यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी हैं। लेकिन उनका अभी तक निकाय चुनाव के लिए लोगों के बीच नहीं आना कांग्रेसियों को खल रहा है। अमेठी और रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां कम से कम कांग्रेस के दिग्गज प्रचार के लिए आते रहे हैं। इस बार ऐसा नहीं हुआ है। प्रियंका गांधी या राहुल अमेठी या रायबरेली भी नहीं पहुंचे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य यूपी को इस तरह से प्रत्याशियों के भरोसे छोड़ने से कांग्रेस को मिशन 2024 में भी नुकसान होगा। (Nikay chunav) निकाय चुनाव आम लोगों से जुड़ने का बेहतरीन मौका होता है। ऐसे में कांग्रेस को यहां के लिए भी समय निकालना चाहिए।