कई वार्डों के नए क्षेत्र से पार्षद प्रत्याशियों के समीकरण बिगड़े

लखनऊ। (Nikay chunav) परिसीमन के बाद वार्डों के नए भौगोलिक क्षेत्रफल ने चुनावी जंग में कूदे कई नेताओं के समीकरण बिगड़ गए हैं। जीत के लिए आश्वस्त दिख रहे नेताओं को अब चुनाव में मंजिल दूर नजर आ रही है। कई धुरंधर नेताओं को पसीने छूट रहे हैं। इस बार निगम की सीमा में 88 नए गांव जोड़े गए थे। जिसकी वजह से कई क्षेत्रों का स्वरूप बदल गया। (Nikay chunav) हालांकि वार्डों की संख्या 110 ही है लेकिन 88 गांव के आने की वजह से लगभग सभी की स्थिति में बदलाव हुआ है। जिसका असर उन नेताओं पर अधिक पड़ा है जो पहले से चुनाव जीतते आए हैं। अब इन्हें नए इलाकों में जमीन तैयार करने में पसीने बहाने पड़ रहे हैं। अपनी सीट पक्की मानने वाले कई निवर्तमान पार्षद भी अब मुश्किल में हैं।

जानकीपुरम क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे एक पार्षद प्रत्याशी का कहना है कि पहले चुनाव जितना आसान लग रहा था अब उतना ही कठिन हो गया है। क्षेत्र की स्थिति में काफी बदलाव हुआ है। हालांकि ऐसी स्थिति सभी प्रत्याशियों के साथ है। तमाम लोग पहले पुराने क्षेत्र के हिसाब से ही लोगों से संपर्क कर रहे थे। फैजुल्लागंज क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले नेता भी चिंता में दिख रहे हैं। यहां कुछ नए प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं। उनके इलाके नए परिसीमन में उसी वार्ड से जुड़ गए हैं जिससे वह चुनाव की तैयारी कर रहे थे।

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आशियाना, एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे एक नेता इस बदलाव से खुश नजर आ रहे हैं। वह कहते हैं कि 2017 के चुनाव में एक राज्य मंत्री ने उनके वार्ड के प्रमुख मोहल्लों को दूसरे वार्ड में जुड़वा दिया था। जिसकी वजह से चुनाव में उनकी हार हुई थी। लेकिन इस बार उनकी पुराने इलाके और सेक्टर फिर से उनके वार्ड में जुड़ गए हैं। जिससे उनकी स्थिति काफी बेहतर है। वह अपनी पत्नी को चुनाव में उतार चुके हैं। (Nikay chunav) जबकि इसी वार्ड से मैदान में उतरे एक पूर्व पार्षद काफी चिंतित हैं। क्योंकि पिछला चुनाव वह पुराने परिसीमन पर इस वार्ड से जीते थे।

शारदा नगर क्षेत्र से मैदान में उतरे एक और नेता खुद संकटों से घिरे होने की बात कहते हैं। इनके क्षेत्र में भी काफी बदलाव हो गया है। पुराने इलाके जहां इन्होंने काम किया था वह सब दूसरे वार्ड में शामिल हो गए हैं। (Nikay chunav) पहले तो यह दूसरे वार्ड में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन उनके समर्थकों ने कहा कि अगर वह दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ेंगे तो उन्हें बाहरी कहा जाएगा। क्योंकि उस वार्ड में उनका घर नहीं है। इस वजह से उनको अपने वार्ड से नामांकन कराना पड़ा। अब इन्हें भी चुनाव में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

इस बार 7 नए वार्ड बनाए गए हैं। अटल बिहारी बाजपेई वार्ड, लालजी टंडन, कल्याण सिंह, शहीद भगत सिंह द्वितीय, खरगापुर सरसावा, भरवारा मलहौर तथा जानकीपुरम तृतीय वार्ड नया बनाया गया है। इन वार्डों में रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। इन वार्डों में अधिकतर प्रत्याशी नए हैं। नए वार्डों में प्रत्याशियों की संख्या पुराने की तुलना में ज्यादा है।

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