लखनऊ। पत्नी मेयर की प्रत्याशी हों तो विधायक को एड़ी चोटी का जोर लगाना ही पड़ेगा। पर साथ ही खुद की प्रतिष्ठा भी बचानी होगी। ऐसा ही कुछ रोचक नजारा (Nikay chunav) निकाय चुनाव में देखने को मिल रहा है। कहीं विधायक की पत्नी मैदान में हैं तो किसी मंत्री की बहन। तो कहीं सांसद के भाई किस्मत आजमा रहे हैं। अब नतीजों से जाहिर होगा कि ‘माननीय’ अपने क्षेत्र में नातेदारों को कितनी बढ़त दिला पाए।
अतुल प्रधान मेरठ की सरधना सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं अपनी पत्नी को मेयर का टिकट दिलाने में कामयाब रहे। पर आगे की राह खासी मुश्किल है एक तो पार्टी के दूसरे विधायक भी अपने नातेदारों को टिकट दिलाना चाहते थे। उन्हें मना कर अपने साथ रखने का मुश्किल काम है और दूसरे सरधना से भरपूर वोट पत्नी को दिलाना भी कम बड़ी चुनौती है पर विधायकजी पूरे जी जान से जुटे हैं।
यूपी निकाय चुनाव : भाजपा-सपा की जोरदार टक्कर
बलिया के सिकंदरपुर से सपा विधायक जियाउद्दीन रिजवी भी नाराज हैं। उनके परिजन को टिकट नहीं मिला। पार्टी ने दिनेश चौधरी को प्रत्याशी बना दिया है। (Nikay chunav) इस पर नाराज रिजवी ने भीष्म यादव को निर्दलीय ही मैदान में उतार दिया है। पार्टी भी निरपेक्ष बनी हुई है। अधिकृत प्रत्याशी जीत गया तो रिजवी को संदेश मिल जाएगा और अगर बागी जीता तो अपना होने में देर नहीं लगेगी।
अमिताभ वाजपेयी कानपुर आर्यनगर से सपा विधायक हैं। उनकी पत्नी वंदना वाजपेयी कानपुर से मेयर प्रत्याशी हैं। उन्हें भाजपा से तो तगड़ी चुनौती मिल ही रही है, खुद उनकी पार्टी में कई लोग नाराज हैं। (Nikay chunav) विधायकजी अपने आर्यनगर सीट से कितना समर्थन दिला पाते हैं यह देखने की बात होगी। लगभग एक साल बाद फिर जनता के मूड का पता चलेगा।
हस्तिनापुर से भाजपा विधायक व योगी सरकार में राज्य मंत्री दिनेश खटिक की बहन वर्षा मोगा सरसावां नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ रही हैं। (Nikay chunav) भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है। उनकी दूसरी बहन सुधा देवी मेरठ की हस्तिनापुर पालिका अध्यक्ष पद के लिए भाजपा का टिकट पा गईं। अब उनके साथ दिनेश खटिक की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
अकबरपुर से भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले के भाई राजेंद्र सिंह उर्फ राजू की पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। (Nikay chunav) अब राजू सिंह हाल में बनी कंचौसी नगर पंचायत अध्यक्ष पद के भाजपा उम्मीदवार हैं। सांसद के लिए यह सीट जीतना इसलिए भी जरूरी है ताकि लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलने की संभावना प्रबल रहे।