पिछले नगर निगम चुनाव (Nikay chunav) में कांग्रेस टूटी थी और इस बार फिर चुनाव से पहले वही हाल है। पिछले चुनाव की तरह इस बार भी तीन जिताऊ पार्षद पार्टी छोड़ गए हैं। इनमें एक तो लगातार पांच बार से पार्षद थे और दो दूसरी बार की दावेदारी में थे। पार्टी में बगावत का हाल यह है कि शहर के नेता प्रचार में भी नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में लड़ाई से पहले कांग्रेस आपस में ही जूझ रही है। पिछली बार कुल आठ पार्षद जीत कर आए थे। इस बार इस आंकड़े को बनाए रखना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। (Nikay chunav) गुरुवार को शहर कांग्रेस उत्तरी के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव अज्जू और शहर कांग्रेस दक्षिणी के अध्यक्ष दिलप्रीत सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित किया गया। दिलप्रीत गुरुवार सुबह ही भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पार्टी की सदस्यता दिलाई।
नगर निगम के पिछले चुनाव में 110 सीटों में महज आठ पर कांग्रेस के पार्षद जीते थे, अब उतने भी नहीं है। ओम नगर के पार्षद राजेंद्र सिंह गप्पू और राजाबाजार वार्ड की पार्षद शहनाज की कोरोना की दूसरी लहर में मृत्यु हो गई तो गोलागंज-पीरजलील वार्ड के पार्षद मोहम्मद हलीम तीन साल पहले सपा में चले गए। (Nikay chunav) जो पांच बचे हैं, उनमें से भी दो ने नामांकन से पहले कांग्रेस का दामन छोड़ दिया। इसमें पांच बार के पार्षद गिरीश मिश्रा भाजपा में चले गए तो दूसरी बार दावेदारी कर रहे अमित चौधरी बसपा में चले गए। इसके पीछे पार्टी में उनकी उपेक्षा बताई जा रही है। ऐसे में 110 प्रत्याशियों में कांग्रेस के महज तीन ऐसे प्रत्याशी हैं जो सिटिंग पार्षद हैं।
कटरा नगर पंचायत से सपा प्रत्याशी का नामांकन खारिज
पिछले चुनाव में हजरतगंज वार्ड से लगातार पांच बार जीत दर्ज करने वाले कांग्रेसी पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान भाजपा में चले गए थे। उनके साथ उनकी बहन भी भाजपा में चली गईं थीं। (Nikay chunav) वह भी कांग्रेस के निशान पर राजा राममोहन राय वार्ड से लगातार चार बार से पार्षद थीं। इनके अलावा राजेंद्र वार्ड से लगातार चार बार के पार्षद राजू दीक्षित भी भाजपा में चले गए थे और यह सभी फिर पार्षद का चुनाव जीते थे। अब भी यह सब भाजपा से हैं और पार्टी ने उनको फिर से टिकट दिया है।
कांग्रेस ने संगीता जायसवाल को महापौर का टिकट दिया है। टिकट को लेकर पार्टी में चली खेमेबाजी का असर यह है कि पार्टी के नेताओं को भी नहीं पता रहता कि उनकी प्रत्याशी कहां प्रचार कर रही हैं। (Nikay chunav) पार्टी के एक नेता ने बताया कि नामांकन के बाद से उन्होंने पार्टी के नेताओं किनारा कर लिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को भी इस बारे में बताया गया। पार्टी के लोगों ने बताया कि जिस तरह हवा चल रही है, उससे लगता है कि कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव के बजाय खेमेबाजी में फंस गई हैं। चुनाव का पुराना रिकॉर्ड देखते हुए उनको भविष्य का अंदाजा है। ऐसे में वह बेवजह की चर्चा और खर्चा भी नहीं बढ़ाना चाहती हैं। पार्टी में चल रही बगावत का हाल यह है कि न शहर और न ही प्रदेश कांग्रेस की ओर से पार्टी प्रत्याशियों चुनाव प्रचार, रणनीति को लेकर बैठक और जनसंपर्क तक किया जा रहा है।