Nikay chunav: सपा प्रत्याशी का फैसला करने में छूटे पसीने

Nikay Chunav

(nikay chunav) लखनऊ में मल्लाही टोला प्रथम वार्ड से सपा से खुद को उम्मीदवार बताते हुए दो प्रत्याशियों के पीछे जिला निर्वाचन से जुड़े अफसरों के पसीने छूट गए। सपा की ओर से अधिकृत किए प्रत्याशी से नया सत्यापति अधिकृत पत्र मंगवाया गया। इसके बाद भी गुरुवार देर रात तक उसे उलझाए रखा गया। इस प्रत्याशी सौरभ उपाध्याय का आरोप है कि उसे कभी डीएम तो कभी आरओ के पास दौड़ाया जाता रहा। (nikay chunav) नामांकन पत्रों की जांच के दौरान रात तक अधिकारी निर्णय नहीं ले सके कि किसे सही प्रत्याशी माना जाए। गुंजन श्रीवास्तव भी खुद को अधिकृत प्रत्याशी बताती रही। उधर सौरभ ने देर रात निर्वाचन आयोग को ई-मेल भेज कर इस बारे में आपत्ति जतायी। वहीं शहीद भगत प्रथम वार्ड से कांग्रेस प्रत्याशी शहनाज बानो का पर्चा खारिज कर दिया गया। उन्होंने अपने पति का जाति प्रमाण पत्र लगाया था।

मल्लाही टोला वार्ड से सपा से अधिकृत प्रत्याशी सौरभ उपाध्याय से दोपहर बाद कहा गया कि वह फिर से पार्टी की ओर से सत्यापति अधिकृत पत्र जरूरी है। इस पर सौरभ ने पार्टी अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की ओर से सत्यापति अधिकृत पत्र भी दे दिया गया। उनको आरओ से लेकर एडीएम तक के दफ्तर के चक्कर काटने पड़े। (nikay chunav)  निर्वाचन आयोग को भेजे गए शिकायती पत्र के मुताबिक पहले पार्टी प्रत्याशी गुंजन श्रीवास्तव ने सौरभ का पार्टी का फार्म 7-क व 7-ख अपने पक्ष में जारी करवा कर उसका फार्म निरस्त करा दिया था। पर, यह बात जानकारी में आते ही उन्होंने पार्टी में अपना पक्ष रखा। इसके बाद पार्टी की ओर से गुंजन का फार्म निरस्त कर सौरभ को ही अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। इस अधिकृत पत्र के बाद भी उन्हें दौड़ाया जाता रहा।

 

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वहीं गुंजन श्रीवास्तव खुद को अधिकृत प्रत्याशी बताती रही। (nikay chunav)  उन्होंने कहा कि समय से सौरभ ने सत्यापति पत्र नहीं जमा किया। जिला निर्वाचन अधिकारी डीएम सूर्य पाल गंगवार के अनुसार प्रत्याशी के बारे में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार रिटर्निंग अफसर का ही होता है। अब इस बारे में अधिकारियों ने उनसे शुक्रवार को निर्णय लेने की बात कही है।

वहीं, कांग्रेस की एक प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया। उनके लिए कांग्रेस के कई नेता पैरवी के लिए आए लेकिन उनके तर्क आरओ को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं थे। प्रत्याशी का कहना था कि उसने ओबीसी प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था। इस आवेदन पर प्रमाणपत्र यदि समय रहते नहीं बना तो उनकी क्या गलती। (nikay chunav)  एहितयात के तौर पर उन्होंने अपने पति का जाति प्र्रमाणपत्र लगाया। अधिकारियों ने उसको नहीं माना क्योंकि पार्षद के चुनाव में पार्षद के ही पत्र पर लिखा वह प्रमाणपत्र था। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन खारिज हो गया।

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