बगैर प्रदेश कमेटी के निकाय चुनाव लड़ना सपा की रणनीति

 

लखनऊ। यूपी निकाय चुनाव (nikay chunav) में जुटी समाजवादी पार्टी इस बार बिना प्रदेश कमेटी के ही चुनाव लड़ेगी। प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की कवायद बीच में शुरू हुई थी लेकिन बाद में रणनीति के तहत इसे आगे के लिए टाल दिया गया है। अब चुनाव नतीजे बताएंगे कि बिना प्रदेश कमेटी के ही सपा ने अपने संगठन को किस प्रभावशाली तरीके से चुनाव संचालन में लगाया।

माना जा रहा है कि पार्टी ने दावेदारों की संभावित नाराजगी से बचने के लिए इस कमेटी के गठन को टाल दिया जबकि कमेटी में आने के लिए तमाम दावेदार आगे की उम्मीद में निकाय चुनाव में जुटाए गए हैं। (nikay chunav)  पार्टी सूत्रों के मुताबिक अगर प्रदेश कमेटी बन जाती तो संगठनात्मक गतिविधियों को ज्यादा प्रभावी तरीके से संचालित किया जा सकता था।

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पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस साल राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया। (nikay chunav)  इसमें प्रांतीय स्तर के कई नेताओं को भी शामिल कर लिया गया। इसके साथ ही पार्टी ने जिलाध्यक्षों की नए सिरे नियुक्ति का काम शुरू हो गए। 60 से ज्यादा जिलों व महानगरों में नए अध्यक्ष व महासचिव बनाए जा चुके हैं। इसके अलावा फ्रंटल संगठनों का गठन भी किया जा रहा है। लेकिन प्रदेश कमेटी के गठन नहीं किया गया। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले इसका गठन हो जाएगा। इसका क्या स्वरूप होगा। यह निकाय चुनाव के नतीजों से भी साफ होगा।

असल में पिछले साल अखिलेश यादव ने संगठन की सभी राष्ट्रीय प्रदेश व जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया था। इसमें फ्रंटल संगठन भी शामिल थे। (nikay chunav)  बाद में पार्टी के अधिवेशन में अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष व नरेश उत्तम को दुबारा प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया। इसके बाद अखिलेश यादव ने जुलाई में सदस्यता अभियान व बूथ प्रबंधन के लिए 18 सदस्यीय दल का गठन किया। वैसे नरेश उत्तम ने अक्तूबर 2021 में प्रदेश कमेटी का गठन किया था। इसमें गैर यादव ओबीसी का अच्छा खासा प्रतिनिधित्व दिया। साथ ही सवर्णों को तवज्जो दी गई।

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