लखनऊ। (Nikay chunav) यूपी निकाय चुनाव में भाजपा ने महापौर प्रत्याशियों के चयन में अपने मंत्रियों, सांसद-विधायकों को संदेश के साथ ही भविष्य के सियासी एजेंडे को भी धार दे दी। पार्टी नेतृत्व ने कई जनप्रतिनिधियों के परिजनों के टिकट पर कैंची चला कर साफ कर दिया कि भाजपा परिवारवाद के मुद्दे पर लड़ाई तेज करेगी। वहीं प्रत्याशियों के चयन में पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह देकर उन्हें 2024 के लिए जी-जान से जुटने का संदेश भी दिया गया है।
प्रदेश के 17 नगर निगमों से भाजपा ने पहले चरण के 10 निगमों के मेयर प्रत्याशी रविवार रात घोषित किए। सर्वाधिक चर्चा का विषय प्रयागराज का टिकट रहा। यहां दो बार की मेयर और प्रदेश सरकार के मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता को पार्टी ने हैट्रिक लगाने का मौका नहीं दिया। (Nikay chunav) पार्टी सूत्रों की मानें तो नंदी की खिलाफत के लिए परिवारवाद के एजेंडे को ही हथियार बनाया गया। कहा जा रहा है कि महापौर सूची जारी करने में विलंब होने के प्रमुख कारणों में से एक प्रयागराज का टिकट भी है।
Nikay chunav: भाजपा और सहयोगी दलों के प्रत्याशी होंगे आमने-सामने
ठीक इसी तरह आगरा नगर निगम के महापौर के टिकट के लिए भी दिग्गजों ने पाले खींच रखे थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और इटावा के सांसद रामशंकर कठेरिया ने पत्नी को टिकट दिलाने के लिए खासी ताकत झोंकी। उन्होंने माहौल बनाने के लिए तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य की कथा का बहुत बड़ा और भव्य आयोजन करा डाला। खुद रामभद्राचार्य ने न सिर्फ मेयर के टिकट के लिए सिफारिश की, बल्कि मंच से मृदुला कठेरिया के टिकट का ऐलान भी कर डाला था। कठेरिया को आगे बढ़ता देख आगरा के सांसद और केंद्रीय विधि राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने अपनी बेटी के लिए टिकट मांगने को पेशबंदी कर डाली। हालांकि पार्टी ने दोनों में से किसी को टिकट न देकर अपना एजेंडा साफ कर दिया।
भाजपा ने पार्टी संगठन में सेवा करने वालों को एक बार फिर मेवा दिया है। वाराणसी से प्रत्याशी बनाए गए अशोक तिवारी क्षेत्रीय मंत्री हैं। प्रयागराज के प्रत्याशी उमेश और मथुरा के विनोद अग्रवाल पार्टी के मौजूदा महानगर अध्यक्ष हैं। लखनऊ से प्रत्याशी बनाई गई सुषमा खरकवाल प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हैं। वे लंबे समय से पार्टी की जमीनी कार्यकर्ता हैं और महिला मोर्चा की क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। फिरोजाबाद में भी पार्टी ने कार्यकर्ता को ही तरजीह दी है जबकि आगरा व झांसी में भाजपा के दो पूर्व विधायकों क्रमश: हेमलता दिवाकर व बिहारी लाल आर्य को मौका मिला है। (Nikay chunav) वहीं भाजपा गोरखपुर और सहारनपुर में दो डॉक्टरों को मेयर का टिकट देकर प्रबुद्ध वर्ग को लुभाने का प्रयास किया है। सहारनपुर से टिकट पाने वाले डा. अजय वहां के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निदेशक हैं और संघ परिवार से लंबे समय से जुड़े हैं। गोरखपुर से टिकट पाने वाले डा. मंगलेश श्रीवास्तव संस्कार भारती गोरक्ष प्रांत के महामंत्री रहे और उनके पिता डा. प्रसाद भी गोरक्षपीठ से जुड़े रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विश्वासपात्र माना जाता है।
भाजपा ने मेयर और नगर पालिका अध्यक्ष पद के प्रत्याशी चयन में सामाजिक समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा। मिशन-2024 के मद्देनजर पार्टी ने जहां जातीय समीकरणों का ध्यान रखा, वहीं अपने सबसे प्रमुख शहरी वोटर वैश्यों को सर्वाधिक तरजीह दी। भाजपा द्वारा घोषित किए गए 10 मेयर प्रत्याशियों में तीन वैश्य, दो ब्राह्मण, एक कोली, एक कुर्मी, एक तेली, एक धोबी और एक कायस्थ हैं।
पार्टी ने महापौर पद के टिकट देने में तो सावधानी बरती मगर नगर निगमों के पार्षदों के टिकट में निचले स्तर पर तमाम गड़बड़ियां सामने आई हैं। संगठन के पदाधिकारियों पर पैनल में नाम शामिल कराने के नाम पर पैसे के लेनदेन के भी आरोप लगे हैं। (Nikay chunav) तमाम शिकायतें प्रदेश नेतृत्व तक भी पहुंची हैं। वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी जेब के लोगों को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंकी। कई नगर पालिकाओं और पंचायतों को लेकर भी शिकायतें मिली हैं।