नगर निकाय चुनाव (nikay chunav) का बिगुल बज चुका है। प्रथम चरण के मतदान के लिए मंगलवार से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। नामांकन पत्र दाखिल करने का सिलसिला 17 अप्रैल तक चलता रहेगा। पहले चरण में नौ मंडलों के 37 जिलों में चार मई को मतदान होना है।
चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में गहमा-गहमी तेज हो गई है। खासतौर पर प्रत्याशियों के नामों को लेकर राजनीतिक पार्टियों में सबसे ज्यादा उठापठक है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि राज्य के चार प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर क्या-क्या तैयारियां की हैं? (nikay chunav) पार्टियां किस रणनीति के तहत जीत दर्ज करना चाहती हैं? आइए जानते हैं…
टिकट के लिए दौड़ लगा रहे दावेदार, भाजपा में सबसे ज्यादा घमासान
टिकट को लेकर सबसे ज्यादा गहमागहमी सत्ताधारी भाजपा में है। टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा नेताओं के बीच खूब जंग चल रही है। इसके चलते पार्टी में गुटबाजी भी दिख रही है। (nikay chunav) पार्टी ने इस बार किसी विधायक, सांसद और मंत्री के परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। इसके अलावा पार्टी ने पुराने और युवा कार्यकर्ताओं को मौका देने का भी फैसला लिया है। इसको लेकर सोमवार को ही सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास पर बैठक हुई है। कहा ये भी जा रहा है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 11 मौजूदा मेयरों का टिकट भी कट सकता है।
भाजपा ने सरकार के दिग्गज मंत्रियों व संगठन के तेजतर्रार नेताओं को निगम चुनाव की कमान सौंपी है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना को लखनऊ व गोरखपुर नगर निगम का प्रभारी बनाया गया है। वहीं, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को बरेली व वाराणसी नगर निगम का प्रभारी नियुक्त किया है। (nikay chunav) निकाय चुनाव में पार्टी ने प्रत्येक नगर निगम के साथ नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में एक-एक चुनाव संयोजक नियुक्त किए हैं।
2017 में भाजपा ने नगर निगम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था। नगर निगम की 16 में से 14 सीटों पर भाजपा के मेयर चुने गए थे। दो सीटों पर बसपा के मेयर बने थे। हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत में जरूर पार्टी को झटका लगा था। यही कारण है कि इस बार पार्टी ने नगर निगम के साथ-साथ नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव जीतने के लिए भी कमर कस ली है। इस बार नगर निगम में 16 की बजाय 17 सीटें हैं। इस बार शाहजहांपुर को भी नगर निगम का दर्जा मिल गया है। पार्टी की कोशिश है कि सभी 17 सीटों पर भाजपा के ही मेयर चुने जाएं।
2017 में नगर निगम चुनाव (nikay chunav) के दौरान समाजवादी पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया था। सपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत में जरूर सपा के समर्थित उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की थी। प्रदर्शन सुधारने के लिए पार्टी ने नगर निकाय चुनाव की तैयारी विधानसभा चुनाव के बाद से ही शुरू कर दी थी।
पिछड़े और दलित जातियों को एक साथ लाकर जातिगत समीकरण साधने की कोशिश। इसके लिए स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं को आगे किया गया है। दलितों को साधने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हाल ही में बसपा के संस्थापक कांशीराम की मूर्ति का अनावरण किया। इसके अलावा वह 14 अप्रैल को डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्म स्थान महू का दौरा भी करने वाले हैं। इसके अलावा कानपुर में आयोजित खटीक सम्मेलन में भी अखिलेश शामिल हो चुके हैं।
युवाओं और महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की तैयारी है। मुस्लिम-यादव और दलित गठजोड़ बनाने की कोशिश हो रही है। इसके लिए मुस्लिम नेताओं के साथ-साथ भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर को साथ लाने की तैयारी हो रही है।
पिछली बार नगर पालिका और नगर पंचायत में जरूर सपा के कुछ प्रत्याशी चुनाव जीत गए थे, लेकिन नगर निगम से बिल्कुल ही साफ हो गए थे। अगले साल फिर से लोकसभा चुनाव होना है। ऐसे में पार्टी किसी भी स्थिति में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की कोशिश कर रही है। (nikay chunav) अगर नगर निकाय चुनावों में पार्टी को उम्मीद के अनुसार परिणाम देखने को नहीं मिला तो कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ जाएगी। इससे पार्टी को लोकसभा चुनाव के दौरान भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
2017 में हुए नगर निगम चुनाव में बसपा ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी। अब पार्टी के सामने उन दोनों सीटों को बचाए रखने के साथ-साथ नई सीटों पर जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती है। 2012 विधानसभा चुनाव के बाद से बसपा की स्थिति खराब होती जा रही है। कोर वोटर्स भी पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा की ओर शिफ्ट हुआ है।
नगर निकाय चुनाव (nikay chunav) में कांग्रेस अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ लड़ेगी और प्रदेश में पार्टी को अप्रत्याशित सफलता मिलने की उम्मीद है।
उन्होने कहा कि प्रदेश भर में जहां वरिष्ठ और अनुभवी कांग्रेसजनों और युवाओं के तालमेल से क्षेत्रों में पार्टी की उपलब्धियों को आम जन तक पहुंचाया जा रहा है और जनहित के मुद्दों पर विगत कई वर्षों से केवल कांग्रेस पार्टी लड़ रही है। इसके आधार पर इस चुनाव में आम जनता का पूरा समर्थन पार्टी को मिलेगा।
वहीं, भाजपा के सहयोगी दलों में शुमार अपना दल और निषाद पार्टी ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। बताया जाता है कि दोनों पार्टियां टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा के संपर्क में हैं। भाजपा के एक प्रदेश स्तरीय नेता का कहना है कि नगर निगम में पिछली बार 16 में से 14 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। ऐसे में नगर निगम की सभी सीटों पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ सकती है। हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत की कुछ सीटों पर जरूर सहयोगी दलों के प्रत्याशियों को मौका दिया जा सकता है।
वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भी अकेले दम पर नगर निकाय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि जहां-जहां उनकी पार्टी मजबूत है वहां वो अकेले दम पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे।
यूपी में नगर निकाय चुनाव दो चरणों में होना है। पहले चरण में नौ मंडलों के 37 जिलों में चार मई को मतदान होगा, जबकि बाकी नौ मंडलों के 38 जिलों में दूसरे चरण में 11 मई को मतदान होगा। इसके बाद सभी 75 जिलों में 13 मई को मतगणना होगी।
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस बार 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायतों में 14684 सीटों पर मतदान होगा। इसमें चार करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2.29 करोड़ पुरुष और 2.02 करोड़ महिला वोटर्स हैं।