परिवारवाद को रोकना भाजपा के लिए मुश्किल

लखनऊ। सरकार और संगठन ने निकाय चुनाव (nikay chunav) में परिवारवाद को रोकने के लिए मंत्री, सांसद और विधायकों के रिश्तेदारों को टिकट नहीं देने का निर्णय कर लिया है। लेकिन निकाय चुनाव में जीत के मूल मंत्र के साथ मैदान में उतरी भाजपा के लिए परिवारवाद को रोकना आसान नहीं होगा।

प्रदेश सरकार के मंत्री से लेकर कई सांसद और नेता अपने निकाय चुनाव में पत्नी बच्चों के जरिए राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। प्रयागराज नगर निगम में महापौर का पद अनारक्षित है। औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा नंदी वहां से दूसरी बार महापौर है।

 

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बताया जा रहा है कि नंदी अपनी पत्नी अभिलाषा को तीसरी बार महापौर बनवाने के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं। नंदी ने लखनऊ से दिल्ली तक टिकट के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। (nikay chunav) राजधानी लखनऊ में महापौर का पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। लखनऊ उत्तर से विधायक नीरज बोरा अपनी पत्नी बिंदु बोरा के लिए महापौर पद का टिकट मांग रहे हैं।

निवर्तमान महापौर संयुक्ता भाटिया अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पुत्रवधृू रेशु भाटिया के लिए टिकट की मांग कर रही हैं। महापौर की दौड़ में पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की पत्नी का नाम भी चर्चा में हैं।

पंचायत चुनाव 2021 में भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में किसी मंत्री, सांसद या विधायक के परिवारजन को टिकट न देने का निर्णय सख्ती से लागू किया था। (nikay chunav) लेकिन, कुछ जगह नेताओं के परिजन ने बगावत कर पर्चा दाखिल कर दिया। उसके बाद क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी को निर्णय बदलना पड़ा। उसके बाद तत्कालीन कई मंत्रियों, विधायक और सांसदों के परिवारजन ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए।

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