लखनऊ। लोकसभा चुनाव में भाजपा से हाथ मिलाने के प्रयास में जुटे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अब अपने दम पर नगर निकाय चुनाव में उतरने का फैसला किया है। हालांकि वह (nikay chunav) निकाय चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी तो अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। इसके लिए राजभर ने पार्टी के पदाधिकारियों को चुनाव की तैयारी करने का फरमान भी सुना दिया है।
दरअसल सपा से गठबंधन टूटने के बाद से ही राजभर और भाजपा के खराब संबंधों के सुधरने शुरू हो गए थे। मौके-मौके पर दोनों तरफ से इसके संकेत भी दिए गए। बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हुए नोंकझोक के दौरान राजभर जिस तरह से सरकार के पक्ष में खड़े दिखे और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की घेरेबंदी की, उससे भी भाजपा और सुभासपा के बीच सियासी खिचड़ी पकने के संकेत मिल रहे थे।
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कई मौके पर राजभर ने भी सार्वजनिक तौर पर कहना शुरू कर दिया कि यदि हमारी मुद्दों पर भाजपा सहमत होती है तो उसे भाजपा का साथ देने से कोई परहेज नहीं होगा। (nikay chunav) भाजपा को लेकर राजभर के रुख में नरमी देखकर सियासी गलियारों में यह कयास लगने लगे थे कि राजभर फिर से हाथ मिला सकते हैं।
इस बीच राजभर द्वारा दिल्ली और प्रदेश में भाजपा नेताओं से हुई कई मुलाकातों से भी इस कयास को बल मिला। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर से राजभर को साथ ले सकती है। उधर राजभर लोकसभा से पहले हो रहे निकाय चुनाव में ही रिहर्सल के तौर पूर्वांचल के कुछ नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में चुनाव लड़ने के लिए समर्थन पाने के लिए भाजपा को टटोल रहे थे। इसके लिए उन्होंने भाजपा के कुछ रणनीतिकारों से चर्चा भी की थी।
सूत्रों का कहना है कि निकाय चुनाव में भाजपा से समझौता के प्रयास में जुटे राजभर ने कई बार पूर्वांचल के एक दर्जन से अधिक जिलों में राजभरों की संख्या को प्रभावशाली बताकर अप्रत्यक्ष तौर पर भाजपा को लुभाने की कोशिश भी की थी।(nikay chunav) भाजपा को लगातार यह संदेश भी देते रहे कि पूर्वांचल के उन जिलों में भी राजभर जाति अपने बल पर चुनाव जीताने की स्थिति में हैं, जिन जिलों में विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा है।
फिलहाल राजभर के तमाम प्रयासों के बाद भी भाजपा से बात नहीं बन पाई है। ऐसे में राजभर ने अब अकेले निकाय चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर दिया है। हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ मिलने को लेकर उनकी उम्मीदें अभी कायम हैं। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में तो अभी बहुत समय है, इसलिए अभी से कुछ कहना ठीक नहीं हैं।
समय आएगा तो देखा जाएगा। साथ ही वह यह भी कहते हैं कि यदि निकाय चुनाव में भाजपा का समर्थन मिलता तो इसका सबसे अधिक फायदा भाजपा को ही होता। बहरहाल भाजपा से नाउम्मीद हो चुके राजभर ने पार्टी पदाधिकारियों को अपने दम पर चुनाव की तैयारी करने का निर्देश दे चुके हैं।