भाजपा से ब्राह्मण या वैश्य, सपा से मुस्लिम चेहरा मैदान में ठोक सकता है ताल

निकाय चुनाव (nikay chunav) की अधिसूचना जारी होते ही राजनीतिक सरगर्मियों में उबाल आ गया है। दावेदार टिकट की जोड़तोड़ के साथ ही जातिगत आंकड़ों के गुणा-भाग में जुट गए हैं। बदायूं नगर पालिका परिषद का चेयरमैन पद इस बार भी महिला के लिए आरक्षित है।

वर्ष 2017 के चुनाव में भी यह सीट महिला के लिए आरक्षित थी, जबकि दिसंबर में जारी हुई आरक्षण की सूची में इसे अनारक्षित रखा गया था। आरक्षण की अनंतिम सूची जारी होते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। (nikay chunav) टिकट के लिए जोड़-तोड़ के बीच राजनीतिक दल भी जिताऊ प्रत्याशी की तलाश में जुटे हैं।

भाजपा से ब्राह्मण या वैश्य वर्ग की महिला के चुनाव मैदान में आने की चर्चा है तो सपा मुस्लिम वर्ग की महिला के सहारे चुनावी फतह हासिल करने की जुगत में है।

वर्ष 2017 में हुए नगर पालिका परिषद चुनाव के हालात और समीकरणों पर गौर करें तो इनमें कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है, लेकिन इस बार प्रत्याशियों के चेहरे बदलने की संभावना जताई जा रही है।

वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने वैश्य वर्ग तो सपा ने मुस्लिम वर्ग की महिला को चुनाव मैदान में उतारा था। (nikay chunav) चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो भाजपा प्रत्याशी दीपमाला गोयल 32,316 मत पाकर विजयी रही थीं। सपा प्रत्याशी फातिमा रजा को 29,140, बसपा प्रत्याशी प्रीति साहू को 1,317 और कांग्रेस की उम्मीदवार राजरानी को महज 590 वोट मिले थे।

भाजपा में यूं तो सभी वर्गों के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन जातिगत समीकरणों के आधार पर यह माना जा रहा है कि भाजपा ब्राह्मण या वैश्य वर्ग की प्रत्याशी को ही चुनाव मैदान में उतारेगी। दरअसल, हिंदू वर्ग में इन बिरादरियों के मतदाताओं की संख्या ही सबसे ज्यादा है।

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सपा से भी वैश्य, ब्राह्मण और कायस्थ वर्ग के कुछ नेताओं ने अपनी पत्नियों या परिवार की महिलाओं के लिए टिकट मांगा है, लेकिन सपा से सबसे मजबूत दावेदारी मुस्लिम वर्ग की ही मानी जा रही है। शहर में कुल मतदाता 1,41,997 हैं। इनमें महिलाओं की संख्या 67, 235 है।

वर्ष 2017 के मुकाबले इस बार 11,879 मतदाता बढ़े हैं। जातिगत आंकड़ों की बात करें तो शहर में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 45 हजार है। ब्राह्मण मतदाता 9,500, वैश्य 14,500, क्षत्रिय 4,500, कायस्थ 6,500, पंजाबी 2,700, साहू 6,000, मौर्य 5,000, कश्यप, 5,000, कुर्मी 2,500 और यादव मतदाता करीब 2,000 हैं।
बाकी पाली, प्रजापति, जाटव, हरिजन, धोबी आदि बिरादरियों के मतदाता हैं। वार्डों की स्थिति देखें तो 11 वार्डों में मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता है जबकि 18 वार्डों में हिंदू मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
चुनाव की जंग से पहले सभी दावेदार टिकट पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। जनपद स्तर से लेकर राज्य और केंद्रीय नेतृत्व तक से संपर्क साधने में लगे हैं। पार्टी संगठन में पैठ रखने वाले नेताओं तक पहुंच के लिए माध्यम खोजे जा रहे हैं।

राजनीतिक दल भी टिकाऊ और जिताऊ प्रत्याशी की तलाश में जुटे हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार समीकरण भले ही कुछ खास न बदले हों, लेकिन प्रत्याशियों के चेहरे जरूर बदलेंगे।

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